• अपारम्परिक ऊर्जा स्त्रोत (Non-Conventional Energy Sources) परिचय (Introduction ) :- संसार में सभी कार्य ऊर्जा द्वारा ही सम्पादित होते हैं। प्रकृति ने ब्रह्माण्ड में अनेक प्रकार की ऊर्जा स्थापित की है, इन ऊर्जा का ज्ञान प्राप्त करके कुछ प्रकार से मनुष्य ने उपयोग करना सीख लिया है। इस प्रकार की ऊर्जा प्राथमिक ऊर्जा (Primary Energy) कहलाती है जैसे सूर्य से प्राप्त ऊर्जा और अग्नि से प्राप्त ऊर्जा । समय-समय पर मनुष्य ने इस प्रकार की ऊर्जा का उपयोग अनेक प्रकार से किया। प्राकृतिक ऊर्जाओं को अन्य विशिष्ट विधियों द्वारा किया गया जैसे जैविकीय ऊर्जा (Biomas Energy), सौर ऊर्जा (Solar Energy), पवन ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा इत्यादि ये गैर परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत कहलाते है, ये ऊर्जा पर्यावरण दृष्टि से भी लाभकारी है। जो ऊर्जा कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस, पानी व परमाणु ईंधन से प्राप्त की जाती है ये ऊर्जायें परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत (Conventional Energy Sources) कहलाती है। सौर ऊर्जा (Solar Energy ): प्राकृतिक ऊर्जा का सबसे बडा स्त्रोत सूर्य है। सूर्य से विकरित ऊर्जा विभिन्न ग्रहों और उपग्रहों को प्रकाश व...
प्रत्यावर्ती धारा का दिष्ट धारा में परिवर्तन व इनवर्टर (Conversion from AC To DC and Invertor सामान्यतया जनन, ट्रांसमिशन व वितरण में AC का सबसे अधिक उपयोग है इसके कई कारण हैं परन्तु फिर भी कुछ विशेष कार्यों में DC की आवश्यकता पडती है, AC को DC में परिवर्तित करना कनवर्सन कहलाता है। कुछ विशेष कार्य जिनमें DC की आवश्यकता पडती है वह निम्नलिखित है- 1. बैट्री का आवेशन (Charging of Batteries) 2. विद्युत लेपन व परिष्करण जैसे रासायनिक क्रियायें । 3. इलैक्ट्रोनिक उपकरणों की पावर सप्लाई इत्यादि । कुछ विशेष कार्य हैं जिनमें DC अधिक लाभदायक है वो निम्नलिखित है- (a) ट्रैक्सन (b) टेलीफोन, रिले व टाइमर स्विच के उपयोग (c) चाल नियन्त्रण में DC मोटरें अधिक दक्ष होती हैं इसलिए जहाँ पर चाल का नियन्त्रण आवश्यक होता है वहाँ DC मोटरों के लिए DC सप्लाई की आवश्यकता पडती है। निम्नलिखित विधियों से AC को DC में परिवर्तित किया ता सकता है। ( i) मोटर जनित्र सेट (ii) रोटरी कनर्वटर (iii) मरकरी आर्क रैक्टीफायर (iv) मैटल रैक्टीफायर (v) अर्द्ध चालक डायोड और SCR उपरोक्त विधियों में रोटरी कनवर्टर, मरक...
विद्युत एवं इसके मूल सिद्धांत (Electricity and its Fundamental Laws) परिचय (Introduction) एवं प्रकाश की तरह विद्युत भी एक प्रकार की ऊर्जा है जो देखाई नहीं देती परन्तु इसकी उपस्थिति इसके प्रभावों से ज्ञात हो जाती रही है और रहेगी इसे नष्ट नहीं किया जा सकता न उत्पन्न किया। किया जाता है। केवल विभिन्न विधियों से इसका रूपान्तरण करके इसका विधुर के प्रकार (Types of Electricity) विद्युत दो प्रकार की है। (i) स्थिर विद्युत (Static Electricity) (ii) गतिज विद्युत (Dynamic Electricity) i ) स्थिर विद्युत fart firga (Static Electricity) वैज्ञानिकों के शोध से ज्ञात है कि धातुओं में इलैक्ट्रोन छोड़ने व अधातुओं में इलैक्ट्रोन ग्रहण करने की प्रवृत्ति होती है। अतः यदि कांच को रेशम से रगड़ने पर कांच की छड़ के स्वतन्त्र इलैक्ट्रोन रेशम पर चले कांच पर इलैक्ट्रोन कम होने व प्रोटोन अधिक होने से यह छड़ आवेशित और रेशम ऋण आवेशित हो जाएगी। इसके विपरीत यदि एकोनाइट की छड़ को फलालेन से रगड़ा जाए तो एबोनाइट की छड़ ऋण आशित हो जाएगी और यह ऋण आवेश एबोनाइट की छड़ में तब तक जब तक कि इलैक्ट्रोनों को किसी बाहरी साधन से हटा न ...
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