(IT Literacy
(IT Literacy)
1.परिचय (Introduction):
आज के युग को सूचना क्रान्ति का युग कहा जाता है और इस सूचना क्रांति का नायक है, कम्प्यूटर।
हम सब किसी ना किसी रूप में कम्प्यूटर का प्रयोग कर रहे हैं जैसे प्रातः जिस अखबार को हम पढ़ते हैं उसकी टाइप सैटिंग, दूरदर्शन के कार्यक्रम, रेलगाड़ी/वायुयान आरक्षण, दूरभाष/बिजली/पानी आदि के बिल, विडियो गेम्स या विज्ञापनों में उछलते कूदते पात्र, चिकित्सा जाँच आदि सब में कम्प्यूटर का प्रयोग होता है। “संक्षेप में कम्प्यूटर द्वारा लाई हुई क्रान्ति से मनुष्य के जीवन में समय/कीमत/गुणवत्ता में श्रेष्ठता आयी है। कम्प्यूटर का आविष्कार चार्ल्स बेवेज ने किया था, उन्हें कम्प्यूटर का जनक भी कहा जाता है। कम्प्यूटर एक ऐसी मशीन है, जो मानव प्रयुक्त आंकडे, संख्याएं, शब्द, प्रतिमाएं (चित्र), श्रव्य तथा विडियो फिल्म जैसे किसी भी सूचना संरूप को अपने अन्दर संचित कर सकता है तथा उन्हें बहुत ही तीव्र गति से कच्चे माल के रूप में प्रयोग करके तथा संसाधित करके ऐसे रूप में बदलकर प्राप्त करा सकता है, जो आसानी से समझा जा सके।"
आज कम्प्यूटर ने मानव जीवन को सुविधा, सरलता, सुव्यवस्था, सरीकता प्रदान की है। कम्प्यूटर अगर लाभकारी है तो विनाशकारी भी है। सतर्कता की जरूरत है।
कम्प्यूटर कैसे कार्य करता है: कम्प्यूटर एक आज्ञाकारी सेवकहै जो आपके द्वारा दिए गए आदेशों का तुरन्त पालन करता है। कम्प्यूटर से कोई भी कार्य करवाने के लिए उसे संपूर्ण व स्पष्ट आदेश देने होते हैं। दूसरे शब्दों में कहां जाएं तो कम्प्यूटर कोई जादुई मशीन नहीं हैं जो अपने आप सब कार्य करता है वरन् प्रत्येक कार्य के लिए कम्प्यूटर को मानव सहायता के निर्देशों की आवश्यकता होती है। इन्हीं आदेशों की क्रमबद्ध सूचि को प्रोग्राम कहा जाता है।
कम्प्यूटर की विशेषताएँ:
(1) गति (Speed): कम्प्यूटर की गणना करने की गति आम आदमी की गणना करने की गति से कई गुणा ज्यादा होती है।
(2)शुद्धता (Accuracy): कम्प्यूटर के परिणाम शुद्ध होते है, साथ ही यह भी आवश्यक है कि अधिकाधिक शुद्ध परिणामों के लिए कम्प्यूटर में फीड किए गए आँकडे (data) शुद्ध होने चाहिए। समाचार पत्रों में जितने भी उदाहरण आप कम्प्यूटर गलती के पढ़ते हैं वे सभी गलत आँकड़ों की फीडिंग से होते हैं।
(3)संचय करना तथा तलाश करना (Storage & Retrieval): कम्प्यूटर की एक छोटी सी डिस्क में सैकड़ों किताबे समा सकती है तथा एक निर्देश से किसी भी सूचना को देखा या पढ़ा जा सकता है।
(4) विश्वसनीयता (Reliability): कम्प्यूटर सालों साल एक ही परिणाम देता है जबकि मनुष्य से अगर हजार अंकों का जोड़ लगवाया जाए तो उसके परिणाम विभिन्न समय अन्तराल पर भिन्न हो सकते हैं।
(5) बहुपयोग (Flexibility): कम्प्यूटर गणना करने, संगीत सुनने, सूचना संचय करने, पिक्चर देखने, मकान का नक्शा बनाने आदि किसी भी कार्य के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।
1.3 कम्प्यूटर के प्रमुख अवयवः कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रानिक संयंत्र है। कम्प्यूटर में संगणना करने वाले कई इलेक्ट्रॉनिक सर्किट होते है। फिर भी मुख्यतौर से कम्प्यूटर में निम्नलिखित पाँच भाग होते है:
(i) एक प्रोसेसर (Processor)
(ii) मुख्य स्मृति (Main Memory)
(iii) इनपुट / आउटपुट उपकरण (Input/Output devices) (iv) द्वितीय स्मृति उपकरण (Secondary memory)
: 2. प्रोसेसर
(i) प्रोसेसर (Processor): जिसको सी.पी.यू. (CPU-Cen- tral Processing Unit) भी कहा जाता है। इसी को कम्प्यूटर का मस्तिष्क भी कहा जाता है। इसके दो प्रमुख भाग होते हैं एक ए.एल.यू. ALU - (Arithmetic & Logic Unit) जिसमें गणित की समस्त प्रकार की गणनाएं तथा तार्किक निर्णय लेने की सारी संक्रियाएं होती है। द्वितीय भाग है कंट्रोल यूनिट (Control Unit) जो कि नियन्त्रक का कार्य करती है। यह कम्प्यूटर से जुड़े उपकरणों, डाटा के इधर-उधर जाने की सभी क्रियाओं को नियन्त्रित करती है। प्रोसेसर की गति MIPS (Mil- lion Instruction Per Second) में नापी जाती है।
(ii) मुख्य स्मृति (Main Memory): कम्प्यूटर को गणना एवं अन्य संक्रियाओं के लिए स्मृति (Memory) की आवश्यकता होती है। यह स्मृति अस्थाई और स्थाई दोनों प्रकार की होती है। या दूसरे शब्दों में रैम (RAM Random Access Memory) एवं रोम (ROM Read Only Memory) दो प्रकार की स्मृतियाँ होती है। अस्थायी स्मृति (RAM) में समस्त सूचनाएं बिजली जाने पर या सिस्टम बन्द करने पर लुप्त हो जाती है। स्थाई स्मृति रोम (ROM) में निर्माण के समय कुछ प्रोग्राम भर देते हैं जिनकी कम्प्यूटर को बार-बार आवश्यकता होती है।
(iii) द्वितीय स्मृति संयंत्र: चूंकि मुख्य स्मृति में डाटा विद्युत जाने पर या बन्द करने पर चला जाता है अत: कम्प्यूटर में द्वितीय स्मृति संयंत्रों की आवश्यकता होती है जैसे फ्लापी डिस्क (5.25 इंच व 3.5 इंच) हार्ड डिस्क, सीडी-रॉम (CD-ROM: Compact Disk Read only memory), डी.वी.डी. (D.V.D.: Digital Video Disk) इत्यादि ।
(iv) इनपुट उपकरण (Input Devices): इनपुट उपकरण वे उपकरण है जिनके माध्यम से आँकड़े व निर्देश कम्प्यूटर में डाले जाते हैं। जैसे कुंजी पटल (Keyboard), माउस (Mouse) स्कैनर (Scanner),60'जॉय स्टिक (Joy Stick), ध्वनि/विडियो संयंत्र इत्यादि ।
(v) आउटपुट उपकरण (Output Devices): आउटपुट उपकरण वे उपकरण हैं जिनके माध्यम से कम्प्यूटर परिणामों को दर्शाता है जैसे श्याम। रंगीन मॉनीटर, डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot Matrix Printer), लेजर प्रिन्टर (Laser Printer), डेस्क/इंकजेट प्रिन्टर (Deskjet / Inkjet Printer), ध्वनि/वीडियो संयंत्र इत्यादि।
2.हार्डवेयर तथा परिधीय उपकरण (Hardware and Pe ripheral Devices): कम्प्यूटर के वे भाग जिन्हें आप देख सकते हैं अथवा छू सकते हैं हार्डवेयर कहलाते हैं। जैसे मॉनीटर, सी.पी.यू.. कुंजीपटल (Keyboard) तथा माउस इत्यादि।
परिधीय युक्तियाँ (Peripheral Devices) कम्प्यूटर से बाहय रूप से जुड़ी हुई होती है। इन उपकरणों का प्रयोग मुख्य रूप से कुछ निश्चित कार्यों हेतु किया जाता है। परिधीय उपकरणों (Peripheral Devices) को निम्न भागों में बाँटा गया है:
1. इनपुट उपकरण (Input Devices)
2. आउटपुट उपकरण (Output Devices) इनपुट उपकरण (Input Devices):
इनपुट उपकरण यूजर से डाटा अथवा आदेश प्राप्त करते हैं। यहाँ इनपुट उपकरणों के बहुत से उदाहरण दिए गए है:
1. कुंजीपटल (Keyboard)
2. माउस (Mouse)
3. लाइट पेन (Light Pen)
4. प्रकाशिक/चुम्बकीय स्कैनर (Optical/Magnetic Scanner)
5. स्पर्श प्रपट्ट (Touch Screen)
6. माइक्रोफोन (Microphone)
7. ट्रैक बॉल (Track Ball)
1. कुंजीपटल (Keyboard): कुंजीपटल सामान्य रूप से बहुतायत में काम आने वाली इनपुट युक्ति है। आजकल बहुत से कुंजीपटल (keyboard) उपलब्ध है। सामान्यतः जो कुंजीपटल काम में लिया जाता है वह है "Querty Keyboard" । सामान्यत: स्टैन्डर्ड की-बोर्ड में 104 कुंजियाँ (key) होती है।
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