विद्युत अनुरक्षण
विद्युत अनुरक्षण
(Electrical Maintenance)
परिचय :- किसी मशीन, उपकरण व प्लांट इत्यादि को कम मूल्य से संतोषजनक व दक्षतापूर्वक चलाने के लिये जो व्यवस्था की जाती है यह व्यवस्था अनुरक्षण (Mantenance) कहलाती है। मशीनों के अनुरक्षण होने के पश्चात् भी कुछ विशेष कारणों से क्षति पहुँच जाती है, इस प्रकार की क्षतिग्रस्त मशीन में सुधार कार्य करना पड़ता है, इस प्रकार के सुधार कार्य को मरम्मत (repair) कहते हैं।
अनुरक्षण के उद्देश्य : मशीनों में उचित अनुरक्षरण के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
1. उत्पादन (Production) के समय उपयंत्र के खराब होने की सम्भावना कम हो जाती है।
2. अनुरक्षण लागत घटती है।
3. मशीन या उपकरण संतोषजनक व सुरक्षित परिचालन के लिये तैयार रहता है।
4. मशीन खराब होने के बाद भी पुन: शीघ्र ठीक करने में समय कम लगता है।
5. मशीनों व प्लॉट की दक्षता बढ़ती है।
6. उत्पादन बढ़ता है व लागत घटती है।
7. मशीन या उपकरण का अनुरक्षण सही रहने से ऑपरेटर प्रसन्न रहता है।
मशीनें लगातार सही प्रकार कार्य करती रहे इनके दक्ष परिचालन के लिये निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिये
: 1. प्रतिदिन मशीनों की सफाई होनी चाहिये ।
2. ऑपरेटर व मशीन के लिये साफ हवा व उचित तापमान का
ध्यान रखा जाना चाहिये।
3. समय-समय पर उपयुक्त निरीक्षण करने चाहिये।
4. उपकरण व मशीनों के कार्य अच्छी प्रकार अध्ययन किया जाना चाहिये ताकि उनमें होने वाले सम्भावित दोषों का ज्ञान हो और दोष विकसित होने पर उनका तुरन्त समाधान किया जा सके।
5. कार्य स्थल पर उचित प्रकार के औजार उपलब्ध होने चाहिये ताकि आवश्यकता पड़ने पर उनका तुरन्त प्रयोग हो सके।
6. मशीनों में होने वाले दोषों का रिकॉर्ड रखना चाहिये और सामान्यतया विकसित होने वाले दोषों का पर्याप्त ज्ञान होना चाहिये।
अनुरक्षण के प्रकार
: मुख्यतया अनुरक्षण दो प्रकार के हैं-
(i) निवारक अनुरक्षण (Preventive Maintenance)
(ii) ब्रेक डाउन अनुरक्षण (Break down Maintenance
(i) निवारक अनुरक्षण (Preventive Maintenance):- यह अनुरक्षण भी दो प्रकार का होता है-
(a) नियमित अनुरक्षण (Routine Maintenance) : इस अनुरक्षण के दौरान निम्नलिखित कार्य आते हैं-
1. मशीन, उपकरण, इन्सुलेटर, बुशिंग व स्टॉर्टर के सम्पर्कों आदि से धूल व गंदगी को साफ करना।
2. जले हुए या घिस गये कॉन्टेक्ट्स को बदलना। 3. ब्रुशों को साफ रखना ।
4. परिपथ वियोजकों (Circuit Breakers) में तेल बदलना। 5. बियरिंग की सफाई व ग्रीस आदि करना।
6. उपकरणों या उपयंत्रों के विभिन्न भागों का समायोजन करना।
(b) ओवरहाल अनुरक्षण (Overhaul Maintenance):- इस प्रकार का अनुरक्षण पूर्व नियोजित होता है जिसमें मशीन में लगने वाले पुर्जे व औजारों का पूर्व में ही प्रबंध किया जाता है ताकि मशीन का ब्रेक डाउन समय कम से कम रहे। विद्युत मशीनों में ओवरहाल के दौरान निम्नलिखित कार्य किये जाते हैं-
(1) विद्युत मशीनों व उपकरणों के मुख्य भागों को बदलना। (2) पुन: बाइडिंग करना।
(3) उच्च वोल्टेज परिपथ वियोजकों की बुशिंग बदलना। (4) मशीनों को खोलकर सफाई करना व आवश्यकतानुसार खराब भागों को बदलना।
(ii) ब्रेक डाउन अनुरक्षण (Break down Maintenance) :- मशीन में अचानक आई खराबी को दूर करना ब्रेक डाउन अनुरक्षण कहलाता है। इस कार्य में समय नष्ट किये बिना तुरन्त खराब भागों की मरम्मत करके मशीन को तुरन्त चालू किया जाता है। कभी-कभी ब्रेक डाउन अनुरक्षण में मशीन का ओवरहाल भी करना पड़ता है।
यदि मरम्मत कार्य सरल व छोटा होता है तो उसे कार्य स्थल पर ही करना पड़ता है और यदि बड़ा हो तो कार्यशाला में मशीन को ले जाना पड़ता है। ब्रेक डाउन को शीघ्र ठीक किया जा सके इसके लिये निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिये-
(1) यदि ब्रेक डाउन विद्युत उपकेन्द्रों में होता है तो ऐसे प्रमुख स्थानों पर उपयुक्त औजार उपलब्ध होने चाहियें।
चाहिये।
(2) उचित प्रकार से प्रशिक्षित व्यक्तियों को मरम्मत कार्य सौंपना
(3) मरम्मत कार्य से पूर्व किये जाने वाले कार्य की सूची बना लेनी चाहिये।
(4) विभिन्न कार्यशालाओं के काम जैसे टरनिंग व वैल्डिंग आदि कार्य तुरन्त उन कार्यशालाओं को सौंप देने चाहिये। (5) टेस्ट करने के उपयंत्र तैयार रखने चाहिये। (6) कार्य की योजना उचित प्रकार से बनानी चाहिये। मशीन का अनुरक्षण उचित प्रकार से व शीघ्रता से हो सकेउनके लिये निम्न बिन्दुओं का ध्यान रखना चाहिये-
(a) निरीक्षण (Inspection) : योग्य स्टाफ द्वारा समय पर मशीनों प्लांट और उपयंत्रों का उचित निरीक्षण होना चाहिये ।
(b) रिकॉर्ड (Record) : प्रत्येक मशीन, प्लांट या विद्युत उपकेन्द्र पर किये गये अनुरक्षण व मरम्मत कार्यों का पूरा विवरण मैन्टीनेंस रजिस्टर में ओंकत होना चाहिये।
(c) औजार व उपयंत्र (Tools and Equipments) : उचित व दक्ष अनुरक्षण करने के लिये उचित प्रकार के औजार व उपकरण पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने चाहिये।
(d) सुरक्षात्मक साधन (Safty Equipments) :- ब्रेक डाउन होने पर मरम्मत कार्य शांत वातावरण में होना चाहिये। निर्जीव लाइन पर भी पूरी सावधानी अपनानो चाहिये और कार्य स्थान पर इन्सुलेटिड औजार हाथों में पहनने वाले ग्लब्स, चश्में, सेफ्टी बेल्ट व सेफ्टी शूज होने चाहियें।
(e) विद्युत दुर्घटनायें (Electric Tragedy) : कई बार मरम्मत कार्य करते समय लापरवाही के कारण जान भी जा सकती है। अतः किसी प्रकार की विद्युत दुर्घटना न हो उसके लिये उचित प्रकार के उपकरण अपनानें चाहियें व सुस्ती व व नशा नहीं अपनाना चाहियें।
ए.सी. व डी.सी. मशीनों का अनुरक्षण व मरम्मत (Maintenance and Repair of AC and DC Machines):- मशीनों को लम्बे समय तक कार्य में लेते रहने व उचित देखभाल न करने मशीनों के इन्सुलेशन व अन्य भागों का विपरित प्रभाव पड़ता है और मशीन ब्रेक डाउन हो जाती हैं। इसलिये इन मशीनों का निवारक अनुरक्षण (Preventive Maintenance) करते रहना चाहिये।
DC मशीनों का दोष व उनका अनुरक्षरण :
(a) क्षेत्र परिपथ के दोष-
(i) खुला परिपथ दोष- यह फील्ड वाइडिंग के चालकों के टूटने से उत्पन्न होता है। इसे टेस्ट लैम्प की सहायता से ज्ञात किया जा सकता है।
(ii) लघु परिपथ दोष- फील्ड कुण्डलियों के वर्त आपस में छू जाने या कुण्डलन सिरे आपस में छू जाने से यह दोष उत्पन्न होता है। इसेटेस्ट लैम्प या ओह्य मीटर द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।
(iii) गलत कनैक्शन (Wrong Connection) : इस कारण पास-पास के दो गोलों की ध्रुवता समान हो सकती है, इस दोषकोचुम्बकीय सुई द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।
(iv) भू दोष (Earth Fault) : क्षेत्र कुण्डलियों के इन्सुलेशन खराब होने पर क्षेत्र चालक मशीन की बॉडी से छ जाते हैं जिसके कारण बॉडी में करंट आने की सम्भावना बढ़ जाती है।
(b) आर्मेचर के दोष (Armature Faults) :
(1) खुला परिपथ दोष
(2) लघु परिपथ दोष
(3) भू दोष
(4) उल्टे कनैक्शन
(5) कम्यूटेटर में दोष→
(c) ब्रुश गियर के दोष-
(i) कम्यूटेटर पर अपर्याप्त सम्पर्क
(ii) ब्रुश का होल्डर में फंस जाना
(iii) ब्रुशों का कम्यूटेटर पर गलत समायोजन
(iv) ब्रुशों पर उचित दाब न होना
(d) यांत्रिक दोष- इस प्रकार के दोषों के कारण बियरिंग अधिक गर्म होने लगते हैं। ये निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-
(i) पर्याप्त स्नेहन (lubrication) न होना
(ii) उचित प्रकार का स्नेहक प्रयोग न किया जाये
(iii) आयल रिंग का अटक जाना
(iv) मशीनों का एलाइनमेंट उचित प्रकार का न होना
(v) मशीन की End plates मशीन की बॉडी के साथ ठीक सेसैट नहीं होना
(vi) पुली पर बेल्ट तनाव अधिक होना
(e) ब्रुशों पर स्पार्किंग होना-
इस समस्या के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं.
(i) ब्रुशों की सैटिंग कम्यूटेटर पर ठीक से न हो
(ii) आर्मेचर वाइडिंग में खुला परिपथ हो जाना
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